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आशाग्राम ट्रस्ट एक परिचय

13 जुलाई 1983 को जनजातीय जिला बड़वानी में कुष्ठ रोगियों की दयनीय स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए तथा उन्हें स्वावलंबन एवं स्वाभिमान का जीवन देने के लिए आशाग्राम ट्रस्ट की स्थापना की गई। प्रारंभ में ट्रस्ट में कुष्ठ रोगियों की संख्या डेढ़ सौ के लगभग थी। जिन्हे स्वयं का आवास देने के लिए प्रारंभ में 80 कुटीर बनाए गए। यह सभी कार्य जन सहयोग से साकार हुआ तथा फिर प्रारंभ हुआ इनके रोजगार, चिकित्सा एवं अन्य समग्र पुनर्वास के कार्य जिसमें प्रशासन के साथ-साथ उदार मना दानदाताओं का भी अप्रतिम सहयोग प्राप्त हुआ। इन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रारंभ में अंबर चरखे के माध्यम से सूत कातने का कार्य उपलब्ध कराया गया। इनके द्वारा तैयार किया गया सूत, खादी भण्डार में बेचा जाता था। इस तरह इनकी आजीविका के लिए शुरुआत हुई। धीरे-धीरे बनाए गए सूत से सुंदर दरी निर्माण का काम प्रारंभ हुआ। ताने और बाने के गठजोड़ से बनी दरियां आकर्षक व सुन्दर तो होती थी किंतु मंहगी होने के कारण पर्याप्त मात्रा में विक्रय नहीं हो पा रहा था। फलस्वरूप संस्था के द्वारा सूत का विकल्प होजियरी वेस्ट कॉटन के रूप में दरी बनाने के लिए प्रयोग में लाया गया। यह प्रयोग जहां उंगली विहीन कुष्ठ रोगियों को बुनाई कार्य में सरल साबित हुआ वहीं वेस्ट को बेस्ट बनाने का यह नवाचार जिले भर के लिए अनुकरणीय होकर कई लोगों के लिए रोजगार देने वाला सिद्ध हुआ। जो कि आज तक कई लोगों को आजीविका का साधन उपलब्ध करा रहा है।

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आशा चिकित्सालय

(100 बिस्तरीय) आयुष्मान योजनांतर्गत सर्व सुविधा युक्त

आशाग्राम ट्रस्ट के द्वारा कैंपस में ही कुष्ठ अंतःवासियों को डिस्पेंसरी के माध्यम से निरन्तर ड्रेसिंग व सामान्य बीमारियों का उपचार प्रदान किया जाने लगा, किन्तु कई मरीजों को आवश्यकता पड़ने पर जिला चिकित्सालय में भर्ती किया जाता था जहां उनके साथ उपचार के दौरान भेदभाव होता था तथा लोग उनसे छुआछूत के भाव रखते थे। फलस्वरूप संस्था ने जन सहयोग से 10 बिस्तरों का अस्पताल वर्ष 1988 में प्रारंभ किया गया जो कारगर सिद्ध हुआ। अस्पताल में छोटी-मोटी सर्जरी भी आवश्यकता पड़ने पर की जाने लगी। इस दौरान ट्रस्ट के सेवा प्रकल्प का विस्तार होकर वर्ष 1990 में आशा चिकित्सालय के स्वरूप में स्थापित होकर प्रारंभ में 50 बेड का सुसज्जित ऑपरेशन थिएटर के साथ वृहद स्तर पर संचालित किया जाने लगा। अब वे लोग भी उपचार करने कराने के लिए आने लगे जिन्हें जिला चिकित्सालय में सही उपचार नहीं मिल पा रहा था। संस्था के इस चिकित्सा प्रकल्प ने आम जनमानस के मन में कुष्ठ रोग के प्रति छुआछूत के भाव को भी खत्म किया और समरस समाज की स्थापना में अपना योगदान दिया। किन्ही कारणवश वर्ष 2016 में आशा चिकित्सालय बन्द हो गया था जिसे कोविड-19 की द्वितीय लहर के दौरान बड़वानी कलेक्टर श्री शिवराजसिंह वर्मा के द्वारा अप्रेल 2021 में पुनः सुसज्जित कर आयुष्मान योजना के साथ जन हितार्थ प्रारंभ किया गया। कलेक्टर एवं ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री शिवराजसिंह वर्मा के नेतृत्व में चिकित्सालय दिन-प्रतिदिन उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसर हो रहा है। इस कार्य में भारतीय जीवन बीमा निगम का योगदान आशा चिकित्सालय के ऑपरेशन थिएटर को नवनिर्मित करने मे महती एवं कारगर सिद्ध हुआ है। आज चिकित्सालय का स्वरूप 100 बिस्तरों के रूप में होकर विभिन्न शल्य चिकित्साओं का केंद्र बन गया है। कोविड-19 की प्रथम एवं द्वितीय चरण में बड़वानी...

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आशा कृत्रिम अंग उपकरण निर्माण इकाई

(वर्ष 1989 से संचालित)

संस्था द्वारा वर्ष 1990 से दिव्यांगजनों के समग्र पुनर्वास की दिशा में कार्य प्रारंभ किया गया। दिव्यांगजनों को निःशुल्क कृत्रिम अंग तथा सहायक उपकरण एवं शल्य चिकित्सा की सुविधा निरन्तर प्रदान की जाती है। दिव्यांगजनों को निःशुल्क कृत्रिम अंग/उपकरण की सुविधा भारत शासन के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, नई दिल्ली के आर्थिक अनुदान से प्रदान की जाती है। संस्था द्वारा एडिप योजनांतर्गत बड़वानी में जिला स्तरीय दिव्यंागजन शिविर एवं सेंधवा में खण्ड स्तरीय शिवर का आयोजन कर दिव्यांगजनों को ट्रायसिकल, व्हील चेअर्स, बैसाखी, श्रवण यंत्र, ब्लाइंट स्टीक इत्यादि विकलांगोपयोगी सहायक उपकरण निःशुल्क वितरित किए जाते है।

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जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र

(सामाजिक न्याय एवं निःशंक्तजन विभाग अंतर्गत ट्रस्ट द्वारा संचालित)

आशाग्राम ट्रस्ट की पहचान समग्र दिव्यांगता पुनर्वास के क्षेत्र में कार्य करने के लिए राष्ट्रीय स्तर तक जानी-पहचानी जाती है जिसमें मुख्यतः वर्ष 1989 में दिव्यांगजनों हेतु आवश्यक कृत्रिम अंग उपकरण निर्माण इकाई जैसे प्रकल्प जनजातीय बाहुल्य जिले में स्थापित करना अपने आप में एक कठौर साधना के समान है जिसे ट्रस्ट ने चुनौती के रूप में स्वीकार कर दिव्यांगजन हितार्थ निर्माण इकाई की स्थापना की तथा मोबाईल युनिट के माध्यम से प्रदेश भर में मौके पर ही दिव्यांगजनों को चलित इकाई के माध्यम से कृत्रिम अंग/उपकरण निर्मित कर मौके पर ही शिविरों के माध्यम से प्रदान किये जाते रहे हैं। इसी उत्कृष्ट सेवाओं को तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है वहीं वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश शासन के द्वारा जन अभियान परिषद म.प्र. के द्वारा “प्रदेश की प्रथम उत्कृष्ट स्वैच्छिक संगठन” से भी सम्मानित किया गया है। कलेक्टर श्री वर्मा ने ट्रस्ट के इस सेवा प्रकल्प को वृहद स्तर पर दिव्यांगजन हितार्थ संचालित करने के लिए ट्रस्ट की निजी जमीन पर अनापत्ति लेकर केन्द्र सरकार एवं म.प्र. शासन समन्वय से जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र परिसर में ही स्थापित किया गया है जिसे प्रदेश के आदर्श जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयास जारी है।

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नर्सिंग इंस्टीट्युट

(वर्ष 2012 से संचालित)

नर्सिंग क्षेत्र में जनजातीय क्षेत्र के युवाओं को जिले में नर्सिग पाठ्यक्रम की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2012 में जी.एन.एम. कोर्स प्रारंभ किया गया। यह उस समय जिले का प्रथम नर्सिंग कॉलेज था। कलेक्टर एवं ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री वर्मा के प्रयासों से शिघ्र ही नर्सिंग कॉलेज में बी.एस.सी. नर्सिंग एवं पोस्ट बी.एस.सी. पाठ्यक्रम प्रारंभ होगें। वर्तमान में नर्सिंग इंस्टीट्युट में 140 छात्र-छात्राऐं अध्ययनरत है।

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आशा आश्रय

(निराश्रित मानसिक रोगियों का समग्र पुनर्वास) चौकसीवाला ज्वैलर्स के समन्वय से संचालित)

निराश्रित मानसिक रोगियों के लिए स्थापित आशा आश्रय कलेक्टर श्री वर्मा सदैव ही सामाजिक सरोकारों के प्रति संवेदनशील रहे हैं तथा जहां भी उन्हें पीड़ित, वंचित, सोशित व्यक्ति दिखाई देते हैं तुरन्त ही उनके उचित पुनर्वास के लिए वे योग्य कार्यवाही को मूर्त रूप देते है। ऐसे ही एक प्रकल्प आशा आश्रय को उन्होने अपने कार्यकाल के दौरान जन सहयोग से मूर्त रूप देने में सफलता प्राप्त की है। जहां निराश्रित मानसिक रोगियों को आश्रय देने की शुरूवात की गई है। यहां से उपचारित होकर मनोरोगी अब अपने परिवार में भी लौटने लगे हैं। आशा आश्रय को वृहद स्तर पर संचालित करने के प्रयास भी निरन्तर जारी है। निमाड़ अंचल में मनारोगियों हेतु जन सहयोग से रचित यह एक नवाचार सिद्ध हुआ है जिसे कलेक्टर श्री वर्मा के कहने पर एक निजी व्यवसायी ने ट्रस्ट के साथ समन्वित प्रयास कर भवन निर्माण कर संचालन का दायित्व लिया है।

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आशा नशामुक्ति केन्द्र

संस्था द्वारा वर्ष 2006 से नशाबंदी के क्षेत्र में कार्य प्रारंभ किया गया है, जिसमें उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हो रही है। मादक पदार्थो तथा मादक द्रव्यों की रोकथाम के लिये संस्था द्वारा वर्षभर कार्यक्रम चलाये जाते है। समाज के सभी वर्गो में बढ़ती हुई नशा सेवन की प्रवृत्ति की रोकथाम की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है। मनोरोग चिकित्सक द्वारा नशाबंदी कार्यक्रम के अन्तर्गत मादक पदार्थो एवं मादक द्रव्यों के सेवन से मुक्ति दिलाने का प्रयास किये गये हैं। नशाबंदी कार्यक्रम अन्तर्गत संस्था द्वारा समय-समय पर सेमीनार, रैली, प्रदर्शनी, वाद-विवाद, निबंध, चित्रकला, नाटक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। नशामुक्ति योजनांतर्गत नशामुक्ति, शिविरों, रैली, सेमीनार आदि कार्यक्रमो में किया जाता है।

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विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का छात्रावास

(CWSN सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत) वर्ष 2007 से संचालित

आशाग्राम ट्रस्ट बड़वानी (म.प्र.) के द्वारा जनजातीय बाहुल्य जिला बड़वानी में वर्ष 2007 से सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिये समावेशी शिक्षा की शुरूवात की गई। 50 सीटर छात्रावास में बालक एवं बालिकाओं के लिए अलग-अलग आवासीय व्यवस्था है। शिक्षा वर्ष 2007 से ही बच्चे शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय में सामान्य बच्चों के साथ समावेशी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। बच्चों को विद्या अध्ययन के दौरान किसी प्रकार की कठिनाई का सामना ना करना पड़े तथा बच्चे सांकेतिक भाषा में पढ़ाए जा रहे विषयों को आसानी से समझ सके इसलिए विशेष शिक्षकों की भी बच्चों के साथ शाला में सहयोग हेतु नियुक्त किया है। विकासात्मक गतिविधियां विशेष बच्चे भी सामान्य बच्चों की तरह विकास कर विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का मंचन कर सके इस हेतु परिसर में इनडोर, आउटडोर गेम की व्यवस्था के साथ सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन जनसहयोग से किया जा रहा है। आज विशेष बच्चों ने केवल जिला स्तर पर अपितु प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाकर विभिन्न पुरस्कारों से जिले व संस्था को गौरान्वित किया है। स्वास्थ्य नगर के समाजसेवी चिकित्सकों एवं ट्रस्ट में पदस्थ चिकित्सकों के द्वारा सामान्य चिकित्सा के साथ-साथ विशेष स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन भी बच्चों के लिए किये जाते हैं।

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एडाॅप्ट एन आंगनवाड़ी

माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चैहान के आव्हान पर एडाॅप्ट एन आंगनवाड़ी के तहत विशेष बस्ती आशाग्राम मे कलेक्टर श्री शिवराजसिंह वर्मा द्वारा आंगनवाड़ी गोद लेकर आंगनवाड़ी का सफल संचालन किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री आवास योजना

आशाग्राम ट्रस्ट द्वारा कुष्ठ रोगियों को स्वावलंबन एवं स्वाभिमान का जीवन जीने के लिए आशाग्राम की स्थापना वर्ष 1983 में की गई थी तब जन सहयोग एवं प्रशासन के समन्वय से मात्र 1500/- रूपये की लागत से निर्मित किये गए कुटीर वर्तमान में जर्जर अवस्था में हो चुके हैं जिसे दृष्टीगत रखते हुऐ कलेक्टर एवं अध्यक्ष आशाग्राम ट्रस्ट बड़वानी के द्वारा 66 कुष्ठरोगी परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत भवन निर्माण में ट्रस्ट की निजी जमीन संबंधित आ रही बाधा को दूर कर ट्रस्ट से भवन निर्माण संबंधित अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्रदान कर प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत भवन निर्माण करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है जिससे शिघ्र ही नवनिर्मित प्रधानमंत्री आवास आकार ले सकेंगे।

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शिवकुंज

35 एकड़ में फैली है शिवकुंज की पर्यावरणीय पाठशाला

३५ एकड़ में फैली है शिव कुंज की पर्यावरणीय पाठशाला पर्यावरण संरक्षण के लिए कलेक्टर श्री शिवराजसिंह वर्मा जी के नेतृत्व में जन सहयोग से रचित पर्यावरणीय पाठशाला अब पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो चुकी है। पहाड़ी पर 30,000 पौधे ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से सिंचित होकर सुरक्षा पा रहे हैं। बड़वानी शहर से लगी हुई 35 एकड़ की एक पहाड़ी जो बड़वानी के समीप होते हुए भी गिने चुने वृक्षों से ही जानी पहचानी जाती थी लेकिन इस पहाड़ी पर विराजित 55 फुट के विशाल पंचमुखी हनुमान जी जिले ही नहीं अपितु दूर-दूर तक जाने पहचाने जाते हैं तथा जिनके दर्शन करने के लिए लोग पहाड़ी के घुमावदार रास्ते से पहुंचते थे जो कि पहाड़ी पर पहुंचने का एकमात्र रास्ता था। संयोग से यह पहाड़ी प्रदेश की जानी-मानी संस्था आशाग्राम ट्रस्ट के कैंपस से लगी हुई है तथा संस्था का अपना 100 बिस्तरों वाला सुसज्जित चिकित्सालय भी है जो वर्ष 2016 से बन्द पड़ा हुआ था जिसे कोरोना की दूसरी लहर की व्यापकता को देखते हुए कलेक्टर श्री शिवराजसिंह वर्मा के द्वारा तैयार कर कोरोना काल में पुनः प्रारंभ कर 200 बेड की व्यवस्था कोरोना मरीजों के लिए सुनिश्चित की तथा इसी दौरान उन्होंने पहाड़ी पर विराजे श्री हनुमानजी से सभी के स्वास्थ्य के लिए तथा जिले ही नहीं अपितु पूरे देश के लिए कोरोना मुक्ति की प्रार्थना की। इसी दौरान उन्होंने बंजर पहाड़ी पर भी भ्रमण कर पहाड़ी का अवलोकन किया तथा उसी दिन से यह संकल्प लिया की कोरोना काल से सुरक्षित निकलने के बाद सबसे पहले इस पहाड़ी को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करेंगे। सौभाग्य से इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के द्वारा अंकुर अभियान अंतर्गत वृहद वृक्षारोपण की शुरुआत की जिसे तत्काल बड़वानी कलेक्टर ने आशाग्राम स्थित शिव कुंज पहाड़ी पर वृहद वृक्षारोपण...

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ताना-बाना

आशाग्राम ट्रस्ट में निर्मित हस्त निर्मित दरी दे रही है स्वावलंबी भारत के निर्माण में योगदान (वेस्ट को बेस्ट बनाने का नवाचार)   आशाग्राम में हो रही हस्त निर्मित कला से निर्मित उत्कृष्ट एवं उम्दा दर्जे के दरी उत्पाद को कलेक्टर एवं ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री शिवराजसिंह वर्मा के प्रयासों से वृहद स्तर पर रोजगारोन्मुखी बनाकर जिले के सुदूर विकासखण्डों में भी प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने की योजना मूर्त रूप ले रही है। वेस्ट को बेस्ट बनाने के नवाचार के तहत होजियरी वेस्ट से निर्मित हस्तनिर्मित दरियां बहुत लोकप्रिय है। दरियों के निर्माण में ग्रामीण महिला-पुरूषों को रोजगार से जोड़ने के लिए निति आयोग से जिले में चार दरी बुनाई प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने हेतु स्वीकृति प्राप्त हुई है जिससे जिले में तैयार होने वाली सुन्दर दरियां जहां निमाड़ व जिले का ब्रांड बनेगी वहीं हजारों लोग यहां प्रशिक्षण पाकर स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकेगे।

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रोजगार

बहुआयामी नवाचारों से जिले में बनती रोजगार की संभावनाऐं

बहुआयामी नवाचारों से जिले में बनती रोजगार की सम्भावनाऐ कलेक्टर श्री शिवराजसिंह वर्मा अपने कार्यों को मूर्त रूप देने लिए सर्वप्रथम किये जाने वाले कार्याे को अधिकारियों, कर्मचारियों एवं स्वयं सेवकों के लिए रोचक बनाकर कार्य के प्रति लगाव एवं उत्साह को बढ़ाने का पहला कार्य करते हैं। इसी का परिणाम है कि जिला मुख्यालय पर ही एक अकेले आशाग्राम ट्रस्ट में ही श्री वर्मा के प्रयासों से तीन बड़े नवाचार देखने को मिले जो भविष्य की मिशाल बनने के साथ-साथ सैकड़ों लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी निर्मित कर रहे हैं। ऐसे नवाचारों में सर्वप्रथम माननीय मुख्यमंत्रीजी के अंकुर अभियान के अंतर्गत निर्मित जन सहयोग से रचित शिवकुंज पर्यावरणीय पाठशाला अब पर्यटन स्थल का स्वरूप ले चुकी है वहीं यहां संचालित केफेटेरिया, सहजयोग साधना केन्द्र, पर्यटन फोटोग्राफी, सफाईकर्मी, सुरक्षागार्ड, माली इत्यादि कार्यो में युवाओं को रोजगार प्राप्त हुआ है। द्वितीय नवाचार में निराश्रित मानसिक रोगियों को जन सहयेाग से निर्मित आशा आश्रय जहां प्रारंभ में 10 निराश्रित मानसिक रोगियों को रखकर उपचार के साथ-साथ स्वावलंबी बनाया जा रहा है जिससे वह स्वयं का रोजगार स्थापित करने में सफल होंगे। तृतीय नवाचार में होजियरी वेस्ट को बेस्ट बनाकर निमाड़ एवं जिले के ब्रांड के रूप में हस्तनिर्मित दरी लघु उद्योग को वृहद रूप से स्थापित कर जिले में रोजगार के अवसर निर्मित करने मे सफलता।

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कृषि उद्यान

आशा कृषि उद्यान बनेगा जैविक कृषि का माॅडल

आशाग्राम ट्रस्ट के लगभग 10 एकड़ कृषि भूमि पर वर्तमान में चींकू का फलोद्यान लगाया गया है एवं खाली पड़ी जमीन पर जैविक कृषि के नवाचारों को शिघ्र ही मॉडल के रूप में स्थापित कर कृषकों के लिए प्रशिक्षण प्रारंभ किये जाऐंगे |

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