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शिवकुंज (जन सहयोग से रचित पर्यावरणीय पाठशाला )

भूमिका

कोविड -19 वैश्विक महामारी की त्रासदी ने ऑक्सी्जन एवं पर्यावरण संरक्षण के महत्व की ओर सभी का ध्यान आकर्षित किया । इसी क्रम में मुख्यमंत्री जी का अंकुर अभियान जिले के लिए प्रेरणा सिद्ध हुआ और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में आशाग्राम स्थजल के रूप में नवीन आशा का जन्म हुआ । माननीय मुख्यमंत्री जी के अंकुर अभियान से प्रेरणा लेकर जनभागीदारी से 35 एकड़ की विरान पहाड़ी को पर्यावरणीय पाठशाला के रूप में शिवकुंज सृजन की संकल्पना को जन्म दिया ।
जिले में रेवाकुंज,सोनकुंज की पहाड़ियों पर सफल वृक्षारोपण के क्रम में शिवकुंज एवं लोनसरा पहाड़ी पर जनसहभागिता सुनिश्चित करते हुए वृहृद वृक्षारोपण किया गया । प्रत्येक पहाड़ी पर पर्यावरण संरक्षण से पर्यटन की असीम संभावना को जोड़ने का अभिनव प्रयास किया गया । वर्तमान में उक्त पहाड़ियों के क्रम में दहीबेड़ा एवं सीएम राईज स्कूल परिसर, सजवानी की पहाड़ी परबड़वानी जिले की लगभग 100 एकड़ की विरान भूमि पर 70 हजार पौधे रोपित कर एक रमणीय क्षेत्र बनाया गया है।इस प्रकार, अंकुर अभियान से प्रेरित होकर जिले में पर्यावरण से पर्यटन हेतु एक "अंकुरईको टूरिज़्म सर्किट"का निर्माण हुआ,जो सम्पूर्ण निमाड़ क्षेत्र के नर्मदा नदी व सतपुड़ा की पहाड़ियों के मध्य अत्यधिक रमणीय व आकर्षणका केंद्र बन चुका है ।

लक्ष्य :

  • सिटी फॉरेस्ट का निर्माण।
  • जल संरक्षण एवं संवर्धन।
  • इको टूरिज़्म।
  • पर्यावरण सरंक्षण।
  • रोजगार सृजन से आर्थिक सशक्तिकरण ।
  • अतिक्रमण से महत्व्पूर्ण भूमि का बचाव।
  • वेस्टर वाटर / ग्रे-वाटर रिसाइक्लिंग का अप्रतीम उदाहरण ।
  • एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण का निर्माण करना ।

नवाचार से पहले का परिदृश्य : हनुमान टेकरी

मध्यप्रदेश के जनजातीय बाहुल्य जिला बड़वानी में संस्था आशाग्राम ट्रस्ट परिसर के समीप 35 एकड़ की पहाड़ी जो गिने-चुने नाममात्र के वृक्षों के कारण विरान दिखाई देती थी। इस पहाड़ी पर विराजित 55 फीट पंचमुखी हनुमानजी की विशाल प्रतिमा जहां अपने दिव्य स्वरूप के दर्शन करा रही है, वहीं वृक्ष विहीन पहाड़ी दिनों दिन ओर अधिक बंजर होती जा रही थी ।

नवाचार से पूर्व विरान पहाड़ी का परिदृश्यस अपने आप में पर्यावरण संरक्षण की आवश्याकता की ओर इशारा कर रहा था।

क्रियान्वयन:- शिवकुंज सृजन की संकल्पवना

इस अभियान केनेतृत्वकर्ता कलेक्टर श्री शिवराजसिंह जी वर्मा की उपस्थिति में 35 एकड़ की विशाल पहाड़ी को हरा भरा करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से निम्न कार्य तय समय में पूर्ण किए गए :-

  • सतत जन संवाद के माध्यम से जन भागीदारी सुनिश्चित की गई ।
  • हार्ड रॉक होने के कारण JCB/ पोकलेन मशीन के माध्यम से पूरी पहाड़ी पर गड्ढे किए गए ।
  • पौधों की संपूर्ण सुरक्षा हेतु पहाड़ी के चारों ओर तार फेंसिंग की गई एवं प्राकृतिक सीमा निर्माण के रूप में 15,000 बांस के पौधों का रोपण कर बैम्बू बार्डर बनाई गई तथा पहाड़ी पर अन्य 15,000 पौधे एक ही दिन हरियाली अमावस्यात के शुभ अवसर पर माननीय प्रभारी मंत्री जिला बड़वानी
  • श्री हरदीपसिंह डंग की उपस्थिति एवं अपार जनसमुदाय द्वारा पौधारोपण किया गया।
  • बड़वानी यानि बड़ (बरगद) का बगीचा, निमाड - नीम की आड़ का क्षेत्र ; बड़वानी तथा निमाड़ को अपना पुराना वैभव लौटाने हेतु 1,200 त्रिवेणी (1,200 बरगद, 1,200 नीम एवं 1,200 पीपल) से शिवकुंज का श्रृंगार किया गया ।
  • पौधों के पोषण हेतु प्रत्येक गड्ढे तक मिट्टी और जैविक खाद की आपूर्ति की गई ।
  • नवांकुरों को 24 x 7 की सिंचाई सुनिश्चित करने हेतु पूरी पहाड़ी पर ड्रीप इरिगेशन पाईपलाइन का जाल बिछाया गया ।
  • नगर पालिका के फ़िल्टर प्लांट के वेस्ट वाटर का उपयोग हेतु 70-70 हजार लीटर की क्षमता वाले 2 वाटर टैंक भी निर्मित किए गए ।
  • पहाड़ी पर सतत् कार्य करने हेतु लगभग 100 लोगों की एक समर्पित टीम तैयार की गई ।
  • वृक्षारोपण के पश्चात जनसहयोग से स्वास्थ्य अनुकूल आध्यापत्मिक ऊर्जा से पूर्ण एवं पर्यटन स्थाल निर्माण कर सभी सुविधाओं का एकीकरण किया गया ।
  • पर्यावरण की पाठशाला के माध्यम से स्कूली बच्चों एवं समस्त नागरिकों को पर्यावरण के प्रति जागरूक एवं संवेदनशील बनाने का प्रयास किया गया ।
  • 15 पोल व सोलर पैनल की सहयता से पूरी पहाड़ी पर आकर्षक लाईट की व्यवस्था की गई है ।

शिवकुंज - “ईको टुरिज्म ” के विभिन्न आयाम

"सेव द अर्थ स्टेचू" – धरती को बचाने का संकल्प् प्रतीक

शैक्षणिक पर्यावरण के रूप में शिवकुंज आशाग्राम में मुख्यमार्ग पर बांयी ओर सुन्दर लॉन में “लर्न बाय इंवायरमेंट”को दृष्टीगत रखते हुए शिवकुंज की सुरम्य वादियों के बीच पर्यावरण संरक्षण से पृथ्वी की सुरक्षा को इंगित करता ‘सेव द अर्थ स्टेचू’ निर्मित किया गया है, जो खेल-खेल में पढ़ाई की तर्ज पर शिवकुंज के आगंतुकों को भी लर्न बाय फन की तरह “लर्न बाय इंवायरमेंट” की शिक्षा दे रहा है।

“शंकरा आदियोगी” – योग एवंध्यान साधना के प्रतीक

ध्यान एक ऐसा समग्र साधक शब्द है जो अपने आप में समग्रता लिए हुए है। बिना ध्यान के इस जीव जगत में किसी कार्य की सफलता में संशय बना रहता है। इस ध्यान को केन्द्रित करने में शिवकुंज आमजनों के लिए मददगार होगा ऐसा हमारा विश्वास है। ध्यान साधना को समग्र शिव में समाहित करती 30 फीट की विशाल आदियोगी की प्रतिमा को यहां स्थापित किया, जो आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रही है ।

पोषण वाटिका

संपूर्ण स्वास्थ्य को सहेजने के लिए जैविक किचन गार्डन की सीख देती विशाल पोषण वाटिका निर्मित की गई है, जहां आकर विद्यार्थी एवं आगंतुक जैविक सब्जियां उत्पादित करने की शिक्षा स्वयं सेवकों से प्राप्त कर रहे हैं।

फ्लॉवर वेली : फूलों की घाटी

शिवकुंज पर तैयार की गई फ्लावर वेली में सदाबहार रहने वाले फूलों की प्रजातियों का रोपण किया गया है, जिससे कि आगंतुकों को हर मौसम में यहां पर खिले हुए फूल प्रसन्नता प्रदान करते रहे।

चिल्ड्रंस इन्जॉकय पार्क

पर्यटन स्थल का स्वरूप ले चुके शिवकुंज में नन्हें आगंतुकों / बच्चोंा के लिए शिवकुंज के पूर्व एवं पश्चिम छोर पर चिल्ड्रन्स इन्जॉवय पार्क तैयार किये गऐ है, जिसमें फिसलपट्टी, झूले आदि लगाए गऐ हैं, वहीं पार्क में पतंगबाजी एवं अन्य खेलकूद की भी व्यवस्था की गई है।

संगीत साधना एवं चिंतन के लिए है मुक्ताकाश मंच

सांस्कृतिक पर्यटन के तहत हरियाली के सुंदर लान के समीप बने मुक्ताकाश मंच पर युवा संगीत साधक अपनी संगीत साधना को नये आयाम प्रदान कर रहे हैं वहीं उनके संगीत को सराहने के लिए आगंतुक भी उनका उत्साहवर्धन कर रहे हैं।

फिटनेस के विविध आयाम : ओपन जिम

शिवकुंज फिटनेस टूरिज्मह फिटनेस प्रेमियों को भी एक ऐसा शहर के समीप सुगम एवं सुरम्य स्थल उपलब्ध करवा रहा है। जहाँ किसी भी समय आने वाले लोगों की संपूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित है। वहीं ग्रीन लॉन में योगाभ्यास के साथ-साथ ओपन जिम भी लगाई गई है एवं पहाड़ी के अंतिम छोर तक दोनों ओर फूलदार पौधों से सुशोभित पाथ-वे/साईकल ट्रेक भी तैयार किया गया है।

सहजयोग ध्यायन एवं साधना केन्द्र:आध्यात्मिक ऊर्जा का स्त्रोवत

शिवकुंज पर्यटन स्थल पर 1800 वर्गफीट में निर्मित सहज योग साधना केन्द्र निर्माण पूर्ण हो गया है, निर्मित भव्य सहज योग साधना केन्द्र पर आध्यात्मिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन के साथ-साथ सहज योग की गतिविधियां भी संचालित होने लगी है।यहाँ सैकड़ों की संख्या में आगन्तुक प्रातः एवं सायंकाल आकर मेडिटेशन एवं स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

कैफेटेरिया: शुद्ध सात्विक खान-पान

शिवकुंज को विभिन्न आयामों में समग्रता प्रदान की है वहीं पर्यटकों के लिए खाने-पीने के लिए भी खाना-खजाना कैफेटेरिया निर्मित हो चुका है। यहां पर प्रातःकाल अंकुरित अनाज पोषण की व्यवस्था के साथ स्वास्थ्यवर्धक जूस भी उपलब्ध होगें वहीं चटपटे स्वाद के प्रेमियों के लिए भी यहां व्यवस्था की गई है। कैफेटेरिया में पाँच लोगों के लिये स्थाई रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

गोवर्धन पर्वत

शिवकुंज पहाड़ी पर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में एक गुफा भी स्थित है जिसे तराशकर गोवर्धन पर्वत का स्वरूप दिया गया है, जो स्वतः ही पर्यावरणीय पाठशाला में आने वाले आगन्तुको के लिए यह संदेश दे रहा है कि हमारी सनातन संस्कृति में किस प्रकार से भगवान वासुदेव कृष्ण ने आपदा आने पर अपनी अंगुली पर पर्वत धारण कर जैव विविधता संरक्षण का संदेश जीव जगत को दिया था।

सांस्कृवतिक कार्यक्रम हेतु मुक्ताकाश मंच

धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए ओपन स्टेज तैयार हो चुका है जहाँ धार्मिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक एवं पर्यावरणीय कार्यक्रमों का प्राकृतिक छटा के बीच आयोजन प्रतिभागियों एवं आयोजकों को दूगुना उत्साह प्रदान कर रहा है।

पर्यावरण संरक्षण की संदेशवाहक – वनदेवी :

शिवकुंज में आने वाले पर्यटको के लिए वृक्षों के विनाश के प्रति संवेदना जगाना एवं अंधाधुन्द वृक्षों की कटाई रोकने के लिए प्रेरणा देती हुई वनदेवी की प्रतिमा निर्मित की गई है जहां ये दर्शाया गया है कि वृक्षों की कटाई वृक्षों को तो पीड़ा देती है वहीं कटाई करने वाले स्वयं अपने ऑक्सीजन के स्त्रोत को भी समाप्त कर अपने जीवन के लिये भी संकट पैदा कर रहे हैं। ऐसा संदेश पर्यावरणीय पाठशाला के माध्यम से पर्यटकों / आगंतुकों को दे रहे है।

शिवकुंज प्रेरणा केन्द्रत - स्वागत द्वार

शिवकुंज पर्यटन स्थल पर बड़वानी के बायपास रोड़ से पर्यटकों का आवागमन सुगम बनाने के लिए पहाड़ी तक पक्की डामर रोड़ का भी निर्माण किया गया है एवं शिवकुंज की भव्यबता के समकक्ष अत्यं त सुंदर स्वागत द्वार बनाया गया है ।

त्याग एवं मर्यादा के प्रेरणा स्त्रोत श्री राम की प्रतिमा शिव कुंज पर ले रही है आकार

मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीरामजी का चरित्र त्याग, समर्पण, समरसता एवं अनुशासन की सीख देता है, जिसे शिव कुंज में श्रीराम की प्रतिमा के स्वरूप में निर्मित कर पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी समर्पण एवं त्याग की भावना के प्रति प्रेरित करने का संदेश स्वतः ही श्रीराम भगवान के स्वरूप में आगंतुकों को मिल रहा है।